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Sunday 13 October 2024

प्यार नज़रो में आना नही चाहिए,

प्यार नज़रो में आना नही चाहिए,
रोज़ मिलना मिलाना नही चाहिए।

लोग पागल समझने लगेंगे तुम्हे,
रात दिन मुस्कुराना नही चाहिए।

बारिशों के इरादे खतरनाख है,
अब पतंगे उड़ाना नहीं चाहिए।

मेने ये सोच कर दे दिया दिल उसे,
दिल किसीका दुखाना नहीं चाहिए।

एक कमले में अंजुम कटे जिंदगी,
हर जगह गुल खिलाना नहीं चाहिए।

रोज़ मिलना मिलाना नहीं चाहिए।।

- अंजुम रहबर 

Monday 30 September 2024

कैसे कैसे स्वाँग रचाए हम ने दुनिया-दारी में यूँ ही सारी उमर गँवा दी औरों ग़म-ख़्वारी में

हम भी कितने सादा-दिल थे सीधी सच्ची बात करें लोगों ने क्या क्या कह डाला लहजों की तह-दारी में

जब दुनिया पर बस न चले तो अंदर अंदर कुढ़ना क्या कुछ बेले के फूल खिलाएँ आँगन की फुलवारी में

आने वाले कल की ख़ातिर हर हर पल कुर्बान किया हाल को दफ़ना देते हैं हम जीने की तय्यारी में

अब की बार जो घर जाना तो सारे एल्बम ले आना वक़्त की दीमक लग जाती है यादों की अलमारी में

Saturday 21 September 2024

बसीर बद्र

परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता,
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नही रहता
बड़े लोगो से मिलने में हमेशा फासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नही रहता


बसीर बद्र 

Saturday 25 May 2024

लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार तुम्हारा है, 

तुम झुठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा है, 

इस दौर के फरियादी जायें तो कहा जायें, 

कानून तुम्हारा है, दरबार तुम्हारा है, 

सूरज की तपन तुमसे बर्दास्त नही होती, 

एक मोम के पुतले सा किरदार तुम्हारा है, 

वैसे तो हर एक शह में जलवे हैं तुम्हारे ही, 

दुश्वार बहुत लेकिन दीदार तुम्हारा है, 

Monday 11 March 2024

चलना ज़मीन पर अभी आया नहीं मुझे

ऐसा नहीं कि उस ने बनाया नहीं मुझे
जो ज़ख़्म उस को आया है आया नहीं मुझे

दीवार को गिरा के उठाया भी मैं ने था
दीवार ने गिरा के उठाया नहीं मुझे

मैं ख़ुद भी आ रहा था जगह ढूँडते हुए
याँ तक ये इंहिदाम ही लाया नहीं मुझे

मेरा ये काम और कसी के सुपुर्द है
ख़ुद ख़्वाब देखना अभी आया नहीं मुझे

कल नींद में चराग़ को नाराज़ कर दिया
सूरज ने आज सुब्ह जगाया नहीं मुझे

ज़ंजीर लाज़मी है कि ज़ंजीर के बग़ैर
चलना ज़मीन पर अभी आया नहीं मुझे

Sunday 21 January 2024

अंहकार

अंहकार बड़ा बेकार है,
रावण का हुआ संघार है।
जिसपे भी हुवा सवार है,
नाश उसका अपरंपार है।
जिसको भी ये धरता है,
उसका नाश ही करता है।
अंहकार बड़ा बेकार है,
रावण का हुआ संघार है।

Tuesday 16 January 2024

Rahat Indori

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो परदेस में वो किससे रजाई मांगे

अपने हाकिम की फकीरी पर तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे

अपने मुंसिफ की ज़िहानत पे मैं कुर्बान, के जो
क़त्ल भी हम हो हमीं से ही वो सफाई मांगें

- Rahat Indori