सोचा था की समुंदर में जाएंगे,
कश्ती को वहा हम चलाएंगे।
एक दिन गजब सा किस्सा हुआ,
पतवार कश्ती का हिस्सा हुआ।
कश्ती को ढंग से सवार गया,
मन से समुंदर में उतारा गया।
कश्ती तो जोश में मदहोश था,
उस पतवार संग वो बेहोश था।
समुंदर में वो आगे बढ़ता गया,
लहरों से वो खूब लड़ता गया।
अचानक वहा एक तूफान उठा,
देख तूफा पतवार का मन घुटा,
कश्ती तुफा से खूब लड़ता गया,
ऊंची लहरों में आगे बढ़ता गया
पतवार दिल का कमजोर था,
मुसीबत में वो तो रणछोड़ था।
उन लहरों में वह बहुत डर गया,
छोड़ मझधार में कश्ती वो गया।
कश्ती ने ये धोका सोचा न था,
फसा देख कर आया होश था।
बीन पतवार के वो चलता गया,
तूफान में लहरों संग बढ़ता गया।
हौसला कश्ती का टूटा ना था,
किनारे को पाने का अब जोश था
हौसला देख तूफान थम सा गया,
साथ लहरों के किनारे को पा गया,
&---@Prabhat Yadav@_&❤️
Excellent 👌
ReplyDeleteKya khub hai maja aagaya
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