बच के पल जाना बचपन फिर आता है,
बाल कला दिखना बालक हमे बनाता है,
किस छोर जाना किशोरी जान न पाता है,
वक्त पे यौवन आना एक युवक बनाता है,
वक्त, कष्ट व अश्क से एक वयस्क अता है,
वय में श्रेष्ठता हो जाना वरिष्ठ बनाता है,
मार के घट जाना मरघट ले कर जाता है,
जीवन का ये चक्र हमे कई रंग दिखाता है
जी के बन जाना जीवन कहलाता है,
🙏 प्रभात यादव 🙏
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